Sunday, February 22, 2009

कहीं तो होगी ...

झिलमिलाते हुवे गगन टिमटिमाते हुए तारे , तेज़ चलते हुए इस सुनसान सी सड़क पर , शहर की टिमटिमाती चकाचौंध से दूर , उस आकाश के पास जाते हुए , कड़कती बिजली में मुझे एक तारा दिखा । पता है क्या था वोह , वोह थी एक याद , उस रात की जब हम सोये नही थे । चले जा रहे थे एक साथ आखिरी बार शायद , पर रुके रुके से कदम अपनी रफ्तार से चल रहे थे , और कहीं पर थामे तो मानो वक्त पर अपना व्यकितव्य छोड़ते चले गए । ऐसा गहरा था उस रात का एक एहसास , चाय पीने से उस सितारों भरी रात में जब हम सब रुके। मौत से एक कदम दूर खड़े उस जहाँ को चीख चीख कर, चिल्ला चिल्ला केर बोल रहे थे , की केर ले जो कुछ करना है ,पर हम नही रुकेंगे । हम चलेंगे , और हम चले । ख़ुद भगवान् की आँख जैसे हमारे जज्बे को देख केर नम हो गई होगी। एक तरफ़ थी मेरे प्रिंसी और दूरी तरफ़ । दूसरी तो कोई तरफ़ ही नही थी , हाँ नमिता थी । और नमिता और प्रिंसी के बीच में खड़ा था में , मुझे तो पहचान ही लिया होगा , दीपक और हिमांशु । कोई अन्तर है क्या हम दोनों में। मेरी टांग में था ग़ज़ब का दर्द , और उस सर्द रात में होश उदा देनी वाली हवाएं मदहोश केर रही थी। पर था सहारा मेरा अपना ख़ुद का ( हिमांशु और मेरे में कोई अन्तर नही है :) ) । इन राहो पर खड़े हम यह ही सोच रहे थे की कितना हसीं यह लम्हा है , एक बार उमर में मिले है सब । शायद थी भी वोह मेरे जाने से एक महीने पहेले की घटना जिसमें हम सब पिस गए , उस गेहूं की तरह जो पिछली दो सदी में पकी थी , सिर्फ़ इस दिन के लिए जब हम सब एक रंग हो जाएँ। बीमार प्रिंसी और बिंदास आशु , कहीं पर मस्ती से भरपूर सोमू थी तो कहीं विनम्र नमी । और यहाँ खड़ा था में , पूरी दुनिया पर राज करने के लिए । एक दीपक । कहाँ से लाऊं में वोह सब दोस्त वापस , कहाँ से लाऊं में वोह जुस्तजू , कहाँ से लाऊं में वोह दिन दिसम्बर का , कहाँ से लॉन वोह रात तारो भरी , और कहाँ मिलेंगी इतनी टूट ते तारे , कहीं तो मिलेंगे ही , तलाशा । बहुत तलाशा , इस सुनसान सड़क पर कड़कती बिजली में , और फ़िर मुस्कुरा दिया ... क्यूँ । क्यूँ नही । साथ ही तो चल रहे है मेरे यह सब। यादो में बसते है और आँखों में उतारते है । तुम्हारे लिए सपना , हमारे लिए हकीकत ।

5 comments:

  1. I saw ur comment on my blog:)
    when did we talk???? :)
    shayad mujhe koi aur samajh rahe ho:)
    Anyways everything is fine in India...r u not in India? What do I remember u work in Infosys bangalore...rt???
    n we know each other through infy blogs...rt???

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  2. hey r u soumya's friend ( Infosys, Bangalore, IS -Dept)????

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  3. hahahaha...nw there few more coincidence...i also left infy last year but moved to Pune not to US:)

    I am not jobless but yes projectless(bench):):):)

    I read your blogs n found that u miss all ur friendssssss then y u left India???? dosto se jada paisa pyara hai kya?????? :)

    Other thing which I noticed in ur blogs that u like tea very much:):):):)

    u r in orkut also na?????

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  4. I was talking about the same girl...we use to sit in the same cubical...i saw her snap in nadi hill blog n find out ur profile in orkut thr a long channel:)

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  5. hahahaha

    tell her we don't each other ya but we know soumya:):):)

    do I need to sed u friend request?????

    hahahahahah

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